प्रश्न.1. ऐसे प्रकरण जिनमें शीघ्र सुनवाई हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया है, उन प्रकरणों को कब सूचीबद्ध (लिस्टेड) किया जाएगा ?
उत्तर -1- ग्राह्य (एडमिटेड) प्रकरणों की शीघ्र सुनवाई प्राथमिकता श्रेणी के अनुसार विनियमित की जावेगी। रजिस्ट्री मुख्य स्वीकृत प्रकरणों में, जो कि समस्त प्रकार से तैयार है उस प्रकरण के क्रम के अनुसार उच्च न्यायालय के शीघ्रता वाले प्रकरणों अथवा किसी अन्य उपयुक्त प्राथमिकता वाले प्रकरणों के शीर्ष के अंतर्गत जो कोई भी पहले आता है, कार्यवाही करेगा।
पक्षकारों को यह स्वतंत्रता है कि वे रजिस्ट्रार (न्यायिक) को अवगत करावें कि उनके मामले में मुख्य प्रकरण, जो कि हाईकोर्ट एक्सपीडाइट श्रेणी और अन्य किसी प्राथमिकता वाली श्रेणी जो कि रजिस्ट्री द्वारा उस मामले को दी गई है, के अतिरिक्त अन्य किसी प्राथमिकता श्रेणी में भी आता है । रजिस्ट्रार (न्यायिक) समुचित जांच के बाद संबंधित कार्यालय सहायक (डीलिंग असिस्टेंट) को मुख्य प्रकरण को उस अन्य उपयुक्त प्राथमिकता श्रेणी में भी अपडेट करने का निर्देश देंगे, ताकि उस प्रकरण में अंतिम सुनवाई के लिए सीएमआईएस साॅफ्टवेयर के द्वारा जिस भी श्रेणी में सबसे पहले सुनवाई हो सकती है, उस श्रेणी में सुनवाई के लिए अग्रसर हुआ जा सके ।
इसके अतिरिक्त, पक्षकारों को आपवादिक आवश्यकता की स्थिति में युगलपीठ-1 के समक्ष मेन्शन स्लिप के द्वारा, बिना कोई शीघ्र सुनवाई का औपचारिक आवेदन प्रस्तुत किए हुए, मुख्य प्रकरण का उल्लेख
करने की स्वतंत्रता है।
प्रश्न.2. नोट रीच्ड प्रकरणों को कैसे सूचीबद्ध किया जाता है ?
उत्तर -2- नाॅट रीच्ड/लेफ्ट ओवर (ऐसे प्रकरण जिनकी सुनवाई नियत सूची में न हो सके) फ्रेश एडमीशन प्रकरण आगामी वाले सप्ताह में उपयुक्त संख्या (लाॅट) में सूचीबद्ध किये जाते है।
नाॅट रीच्ड/लेफ्ट ओवर/सूचना पश्चात के प्रकरण स्वजनित रिटर्नेबल तिथियों में चार सप्ताह के पश्चात के उपर्युक्त लाॅट्स में निर्धारित किए जाते है । उक्त तिथियों को पक्षकारों एवं अधिवक्ताओं की सूचना के लिए उच्च न्यायालय की अधिकारिक बेवसाइट पर एवं न्यायालय के आगामी कार्यदिवस की प्रकरणों की सूची के सूचना पटल पर भी अधिसूचित किया जाता है। परन्तु यदि न्यायालय अपवाद स्वरूप अति आवश्यक प्रकरणों में इसके विपरीत आदेश करता है तो न्यायालय द्वारा दी गई तिथि प्रभावी होगी।
प्रश्न.3. नाॅट रीच्ड/लेफ्ट ओवर जमानत/सजा के निलम्बन के प्रकरण कैसे सूचीबद्ध होते है ?
उत्तर -3- नाॅट रीच्ड/लेफ्ट ओवर जमानत/सजा क े निलम्बन क े प्रकरण आगामी न्यायालीन कार्य
दिवस पर सूचीबद्ध होत े है।
प्रश्न.4. पूर्व के सप्ताह क े प्रकरणों की क्रम संख्या की तुलना में नाॅट रीच्ड प्रकरण अगले सप्ताह की प्रकरणों की सूची के निचले क्रम में क्यों सूचीबद्ध होते है ?
उत्तर -4- कम्प्यूटर प्रोग्राम के अनुसार, समस्त माननीय पीठों के नाॅट रीच्ड फ्रेश एडमीशन प्रकरण
(जमानत प्रकरणों एवं सूचना पश्चात के प्रकरणों के अलावा) दायरा दिनांक से बढ़ते हुए कालानु क्रम में
आने वाले सप्ताह की मुख्य सूची में सूचीबद्ध होते है। सामान्यतः नाॅट रीच्ड प्रकरण आने वाले सप्ताह के
उपरी क्र्रम में होते है परन्तु प्रकरणों की सूची में उनका वास्तविक स्थान अन्य नाॅट रीच्ड प्रकरणों की तुलना
में उनके दायरा दिनांक पर निर्भर करता है। इस प्रकार कुछ प्रकरणों में उन्हें निचले क्रम में रखा जा सकता
है।
प्रश्न.5. एक ही थाने एवं अपराध क्रमांक से संबंधित विभिन्न अभियुक्त/सहअभियुक्त के जमानत आवेदन नवीन योजना के अंतर्गत कैसे सूचीबद्ध किये जाते है ?
उत्तर -5- माननीय न्यायमूर्ति की उपलब्धता के आधार पर, एक ही थाने एवं अपराध क्रमांक से संबंधित विभिन्न अभियुक्त/सहअभियुक्त के जमानत आवेदन उन्हीं माननीय न्यायमूर्ति के समक्ष सूचीबद्ध किए जाएगें जिन्होंने उस अपराध क्रमांक का प्रथम जमानत आवेदन सुना है। नवीन प्रकरणों में, इस प्रक्रिया को पहले ही
लागू कर दिया गया है एवं पुराने प्रकरणों में कार्यालय सहायकों (डीलिंग असिस्टेंट) को ऐसे प्रकरणों को कम्प्यूटर प्रोग्राम में अपडेट करने हेतु निर्देशित किया गया है।
प्रश्न.6. यदि दो विभिन्न अभियुक्तों के एक ही अपराध से संबंधित जमानत आवेदन दो विभिन्न माननीय न्यायामूर्ति गण के द्वारा निस्तारित किये गये है तो तीसरे अभियुक्त का जमानत आवेदन सुनवाई हेतु कहँा सूचीबद्ध किया जावेगा ?
उत्तर -6- यह आवेदन वरिष्ठ माननीय न्यायामूर्ति के समक्ष सूचीबद्ध किया जावेगा जिन्होंने सह अभियुक्त का जमानत आवेदन निर्णित किया था।
प्रश्न.7. अधिक संख्या में प्रकरण क्यों सूचीबद्ध किये जाते है ?
उत्तर -7- सामान्य अनुक्रम में, न्यायालय में प्रकरणों की सूची 100 प्रकरणों तक सीमित है। लेकिन न्यायालय द्वारा नियत तिथियों के प्रकरण, प्रकरण जिनको कि नीति के अनुसार सूचीबद्ध किया जाना आवश्यक है,ं उदाहरणार्थ - नवीन प्रस्तुत किए गये प्रकरण (जो कि तीसरे/पांचवे दिवस पर सूचीबद्ध करना
होता है), रजिस्ट्रार द्वारा अधिकृत एवं पांच वर्ष से अधिक के पुराने प्रकरणों के कारण सूची कई बार अपनी
सीमा से अधिक बढ़ जाती है ।
प्रश्न.8. क्या ऐसे प्रकरण, जिनमें कि उस विशेष प्रकरण के सूचीबद्ध होने के पूर्व त्रुटि का निराकरण कर दिया गया है, उन्हें “सामान्य सशर्त आदेश” के शीर्ष के अंतर्गत रिटर्नेबल दिनांक के पूर्व सूचीबद्ध किया जावेगा ?
उत्तर -8- यदि कार्यालयीन त्रुटि के कारण, नवीनतम प्रस्तुत प्रकरण “सामान्य सशर्त आदेश” शीर्ष के अंतर्गत गलती से सूचीबद्ध होता है यद्यपि कि प्रकरण के सूचीबद्ध होने के पूर्व त्रुटि का पहले से निराकरण किया गया था, यदि इस तथ्य को रजिस्ट्रार की जानकारी में लाया जाता है, तब सत्यापन के पश्चात्, प्रकरण माननीय न्यायालय के समक्ष उपयुक्त शीर्ष के अंतर्गत सूचीबद्ध किया जावेगा।
प्रश्न.9. ‘सूचना पश्चात्‘ के प्रकरण कब सूचीबद्ध किये जावेगंे ?
उत्तर -9- ग्राह्यता पूर्व अवस्था के सूचना पश्चात् के प्रकरण रिटर्नेबल तिथि पर सूचीबद्ध किये जाते हैं।
सूचना पश्चात् के ऐसे प्रकरण जो कि एक बार सूचीबद्ध हो चुके है एवं उनकी सुनवाई नहीं हो सकी है,
ऐसे प्रकरण चार सप्ताह के पश्चात् स्थान की उपलब्धता पर सूचीबद्ध किये जावेगें।
प्रश्न.10. कौन से प्रकरण सूची में सर्वप्रथम (टाॅप आॅफ द लिस्ट) शीर्ष के अंतर्गत सूचीबद्ध किये जाते है ?
उत्तर -10- सूची में सर्वप्रथम (टाॅप आॅफ द लिस्ट) शीर्ष के अंतर्गत वे प्रकरण सूचीबद्ध किये जाते है
जिन्हें कि माननीय न्यायालय द्वारा इस शीर्ष के अंतर्गत सूचीबद्ध किये जाने हेतु निर्देशित किया गया है,
जिन्हें कि अति महत्वपूर्ण प्रकरण होने के कारण समस्त दूसरे प्रकरणों के ऊपर क्रम दिया जाना चाहिए।
प्रश्न.11. कौन से प्रकरण “सामान्य सशर्त आदेश” के अंतर्गत सूचीबद्ध किये जाते है ?
उत्तर -11- यदि न्यायालय द्वारा पारित सामान्य आदेश के बावजूद, माननीय न्यायालय द्वारा दिये गये
निर्धारित समय के अंदर त्रुटि को दूर नहीं किया गया है, ऐसे प्रकरण “सामान्य सशर्त आदेश” के शीर्ष के
अंतर्गत ऐसी रिटर्नेबल तिथियों पर सूचीबद्ध किये जावेगें।
प्रश्न.12. कौन से प्रकरण “समझौता” शीर्ष के अंतर्गत सूचीबद्ध किये जाते है ?
उत्तर -12- ऐसे प्रकरण “समझौता” शीर्ष के अंतर्गत सूचीबद्ध किये जाते है जिनमें कि पक्षकारों ने समझौते
के आवेदन प्रस्तुत किए है और ऐसे प्रकरणों का माननीय न्यायालयों द्वारा तुरंत निराकरण कर दिया जाता
है।
प्रश्न.13. कौन से प्रकरण निर्देश प्रकरणों के शीर्ष के अंतर्गत सूचीबद्ध किये जाते है ?
उत्तर -13- ऐसे सभी प्रकरण जिसमें माननीय न्यायालय ने अनुपालन के लिए निर्देशित किया है और उन्हें आगे के निर्देशों हेतु सूचीबद्ध किया जाना है।
प्रकरण जिनमें माननीय न्यायालय द्वारा इस शीर्ष के अंतर्गत सूचीबद्ध करने हेतु निर्देशित किया गया है।
प्रश्न.14. कौन से प्रकरण “व्यक्तिगत उपस्थिति” शीर्ष के अंतर्गत सूचीबद्ध होते है ?
उत्तर -14- “व्यक्तिगत उपस्थिति” शीर्ष के अंतर्गत ऐसे प्रकरण सूचीबद्ध होते है जिनमें पक्षकारों को
माननीय न्यायालय के समक्ष उपस्थित होना होता है और उनकी उपस्थिति दर्ज होने के बाद, पक्षकार जा सकते है और उन्हें पूरे दिन प्रतीक्षा नही करनी होती है। इस प्रकार उनका समय बचता है।
प्रश्न.15. कौन से प्रकरण “आदेश” शीर्ष के अंतर्गत सूचीबद्ध होते है ?
उत्तर -15- ग्राह्य (एडमिटेड) प्रकरणों में, सभी अंतवर्ती आवेदन “आदेश श्रेणी” के अंतर्गत अपडेट किये
जावेंगे, जब तक कि माननीय न्यायालय द्वारा उन्हें मुख्य प्रकरण के साथ सुनवाई होने के लिए आदेशित
नहीं किया जाता है।
प्रश्न.16. एक पक्षीय स्थगन को रिक्त कराने का आवेदन अथवा मुख्य प्रकरण प्रस्तुति में विलम्ब माफी का आवेदन कब सूचीबद्ध किया जावेगा ?
उत्तर -16- सामान्यतः एक पक्षीय स्थगन को रिक्त कराने का आवेदन अथवा मुख्य प्रकरण प्रस्तुति में
विलम्ब माफी का आवेदन, “आदेश” शीर्ष के अंतर्गत, यदि कोई कार्यालय की आपत्ति है तो उसे ठीक करने
के दिनांक से पंचम न्यायालय कार्य दिवस पर सूचीबद्ध किया जावेगा। परन्तु, यदि मुख्य (ग्राह्य पूर्व)
प्रकरण में स्थगन रिक्त कराने के आवेदन में कार्यालयीन आपत्ति ठीक करने के दिनांक से 5 दिवस के
अंदर सूचीबद्ध होना प्रस्तावित है तब एक-पक्षीय स्थगन रिक्त कराने के लिए आई.ए. (अंतवर्ती आवेदन),
मुख्य प्रकरण के साथ उपर्युक्त श्रेणी (नवीन/सूचना पश्चात्/अंतिम निस्तारण) में सूचीबद्ध होगा।
प्रश्न.17. कौन से प्रकरण “ग्राह्य पूर्व नवीन” शीर्ष के अंतर्गत सूचीबद्ध होते है ?
उत्तर -17- नवीन प्रस्तुत किये गये प्रकरण “ग्राह्य हेतु नवीन” शीर्ष के अंतर्गत सूचीबद्ध किये जाते है और नवीन प्रस्तुत प्रकरण जिनकी की सुनवाई नहीं हो पाती है । ऐसे प्रकरण अगले सप्ताह मंे सूचीबद्ध होते हैं।
प्रकरण जिनमें कि सूचना पत्र जारी किये जाने एवं प्रकरण को ग्राह्य किये जाने के आदेश नहीं हैं, ऐसे
प्रकरणों को नवीन प्रकरणों के रूप में माना जाता है।
प्रश्न.18. कौन से प्रकरण “ग्राह्यता अवस्था पर अंतिम निस्तारण” शीर्ष के अंतर्गत सूचीबद्ध होते है और क्या पूर्व की प्रणाली/नियमों से कोई परिवर्तन है ?
उत्तर -18- “ग्राह्यता अवस्था पर अंतिम निस्तारण” श्रेणी में ऐसे प्रकरण आते है जिनमें कि माननीय
न्यायालय का दृष्टिकोण होता है कि प्रकरण को संक्षिप्त सुनवाई के द्वारा निस्तारित किया जा सकता है एवं माननीय न्यायालय द्वारा ग्राह्यता पूर्व अवस्था पर ही अंतिम रूप से सुनवाई का आदेश दिया जाता है अथवा इस शीर्ष में सूचीबद्ध किये जाने का आदेश दिया जाता है । ऐसे प्रकरण सुनवाई की सूची में इस शीर्ष के अंतर्गत सूचीबद्ध होते है। पूर्व के प्रकरण जहां माननीय न्यायालयों का दृष्टिकोण था कि प्रकरण को स्वीकृत करके प्रकरण का निस्तारण लंबी अवधि लेगा क्योंकि अंतिम सुनवाई के लम्बित प्रकरणों की अत्यधिक संख्या होने के कारण ऐसे प्रकरण उनके क्रम के अनुसार कई बर्षो के पश्चात् सूचीबद्ध होगें, ऐसा प्रकरण स्वीकृत न करने का चलन था लेकिन सूचना पत्र जारी करने पर और प्रतिवादी के उपस्थित होने के पश्चात्, प्रकरण सुने जाते थे और अंतिम रूप से निस्तारित होते थे। उस अवधारणा से हटा नहीं गया है परन्तु इस पद्धति में इसे स्थान दिया
गया है और ऐसे प्रकरण सूचीबद्ध और निस्तारित किये जा सकते है और इन प्रकरणों को प्रतिदिन की सुनवाई
की सूची में स्थान दिया जाता है।
प्रश्न.19. क्या पूरक सूची में सर्वप्रथम सूचीबद्ध (आॅन टाॅप आॅफ दि लिस्ट) प्रकरणों को मुख्य प्रकरणों की सूची के शुरूआत में सुनवाई में लिया जाएगा अथवा मुख्य सूची के पश्चात् ?
उत्तर -19- पूरक सूची क्रम संख्या दर्शायेगा तब पूरक सूची में दी गयी श्रेणी में सम्मिलित प्रकरण
सुनवाई हेतु बुलाया जाएगा। टाॅप आॅफ दि लिस्ट श्रेणी में अधिसूचित प्रकरण सर्वप्रथम सुनवाई में लिए
जावेंगे ।
प्रश्न.20. कौन से प्रकरण “सामान्य आदेश” शीर्ष के अंतर्गत सूचीबद्ध होते है ?
उत्तर -20- रजिस्ट्रार के आदेशों का अनुपालन न करने की स्थिति में, प्रकरण को “सामान्य आदेश” शीर्ष
के अंतर्गत न्यायालय के समक्ष सूचीबद्ध किया जावेगा। सभी आदेश श्रेणी के प्रकरण, जो कि सामान्य आदेश
के द्वारा निस्तारित किये जा सकते है, प्रस्तावित आदेश जो कि उनमें पारित होना है के साथ संबंधित
प्रकरणों की रिटर्नेबल तिथियों के साथ सूचीबद्ध होंगें।
प्रश्न.21. अंतिम सुनवाई की सूची (साप्ताहिक) के तैयार होने के पश्चात् आने वाला एक अति आवश्यक प्रकरण कैसे और किस नम्बर पर सम्मिलित किया जावेगा ?
उत्तर -21- प्रति आपत्तियाॅ अंर्तवर्ती आवेदनों के रूप में पंजीकृत की जाती है और अंर्तवर्ती आवेदनों पर
लागू प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही की जाती है।
प्रश्न.22. प्रति आपत्तियों को मुख्य प्रकरण के साथ सुनवाई हेतु कैसे लिया जावेगा ?
उत्तर -22- प्रति आपत्तियाॅ अंर्तवर्ती आवेदनों के रूप में पंजीकृत की जाती है और अंर्तवर्ती आवेदनों पर
लागू प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही की जाती है।
प्रश्न.23. सूचना पश्चात् शेष बचे (लेफ्ट ओवर आफ्टर नोटिस) प्रकरणों का वर्तमान पद्धति के अंतर्गत सूचीबद्ध करने की क्या पद्धति है ?
उत्तर -23- ऐसे प्रकरणों को, स्वजनित तिथियों जो कि चार सप्ताह के पश्चात् के उपयुक्त लाॅट्स में निकाली गयी है,नियत किया जाता हैै। ऐसे प्रकरणों में सामान्यतः चार सप्ताह के पश्चात् की स्वजनित तिथियां उपयुक्त संख्या में नियत की जातीं हैं तथा स्थान की उपलब्धता के आधार पर नियत तिथियों पर प्रकरण सूचीबद्ध किये जाते हैं ।
प्रश्न.24. ग्राह्य प्रकरणों में अंर्तवर्ती आवेदनों की सुनवाई किस श्रेणी में नियत की जावेगी ?
उत्तर -24- ग्राह्य प्रकरणों में अंर्तवर्ती आवेदनों को आदेश श्रेणी के अंतर्गत अपडेट किया जाता है, जब तक कि उसे न्यायालय द्वारा मुख्य प्रकरण के साथ सुनवाई किये जाने हेतु आदेशित नहीं किया गया है।
प्रश्न.25. अंतिम सुनवाई के प्रकरण पहले की पद्धति के अनुसार कब सुने जावेगें ?
उत्तर -25- अंतिम सुनवाई के प्रकरण नियमित रूप से पूरे सप्ताह सुनवाई हेतु लिये जा रहे है जबकि
पूर्व की पद्धति में केवल दो दिन ही सुनवाई हेतु नियत होते थे।
प्रश्न.26. नयी पद्धति के अंतर्गत पीठों द्वारा आंशिक रूप से सुने गये प्रकरण का क्या होगा ?
उत्तर -26- सभी आंशिक रूप से सुने गये प्रकरणों में आंशिक सुनवाई का प्रभाव समाप्त हो जाएगा जब
तक कि पक्षकारांे द्वारा प्रकरण को जारी रखने के लिए निवेदन नहीं किया गया है और माननीय मुख्य न्यायाधिपति महोदय द्वारा इसे अनुमोदित नहीं किया गया है।
प्रश्न.27. कम्प्यूटर जनित तिथियों वाले प्रकरणों कोे किस प्रकार सूची में सम्मिलित किया जाता है ?
उत्तर -27- कम्प्यूटर जनित तिथियों वाले प्रकरण विनिर्दिष्ट संख्या (100) के अंदर सूचीबद्ध होते है,
यदि नियत तिथि प्रकरण, रजिस्ट्रार अधिकृत तथा पांच वर्ष से अधिक पुराने प्रकरणों एवं नवीन प्र्रस्तुत
प्रकरणों को सूचीबद्ध करने के पश्चात्, यदि स्थान शेष रहता है। यदि उपरोक्त प्रकरणों के कारण प्रतिदिन
की सूची बढ़ जाती है, तब सूचना पश्चात् के ग्राह्यता हेतु प्रकरण कम्प्यूटर द्वारा उत्पादित तिथियों के चार सप्ताह पश्चात् के उपयुक्त लाॅट में कालानुक्रम में सूचीबद्ध किये जावेगें और ऐसी तिथियाँ प्रतिदिन /पूरक सूची में पुनः प्रस्तावित एवं अधिसूचित की जावेगीं।
प्रश्न.28. पीठ की उपलब्धता न होने की स्थिति में, अधिसूचित प्रकरणों के उल्लेखन के लिए क्या प्रक्रिया है, यदि प्रकरण अन्य पीठों में वितरित किए जाते है ?
उत्तर -28- ऐसी परिस्थिति में अधिसूचित प्रकरणों का उल्लेखन संबंधित माननीय पीठ के समक्ष किया
जावेगा जहां प्रकरणों को वितरित किया गया है।
प्रश्न.29. आपवादिक अति आवश्यक प्रकरणों को उसी दिन कैसे सूचीबद्ध किया जावेगा ?
उत्तर -29- ऐसा प्रकरण उसी दिन माननीय उल्लेखन न्यायालय (युगलपीठ-1) के समक्ष उल्लेखित
किया जा सकता है।
प्रश्न.30. यदि न्यायालय के निर्देशानुसार जबाव प्रस्तुत नहीं किया गया है तो क्या ग्राह्य प्रकरण जबाव प्रस्तुत करने के लिए प्रतीक्षा करेगें ?
उत्तर -30- ग्राह्य प्रकरण जहां पर न्यायालय के निर्देशों के बावजूद जबाव प्रस्तुत नहीं किया जाता है,
ऐसे प्रकरण को अपरिपक्व नहीं समझा जाएगा और यह मानते हुए कि प्रतिवादी जबाव प्रस्तुत करने का इच्छुक नहीं है इन प्रकरणों में उपयुक्त श्रेणी में इनके क्रम के अनुसार कार्यवाही की जाएगी।
प्रश्न.31. रोके गये (हेल्ड अप) प्रकरणों की सुनवाई इस पद्धति के अंतर्गत कैसे सरल बनाई जा सकती है ?
उत्तर -31- रोके गये (हेल्ड अप) प्रकरणों को मुख्य प्रकरण एवं कालानुक्रम स्थिति के अनुसार प्रत्येक
श्रेणी में लिया जाता है ऐसे प्रकरण मोशन हियरिंग प्रकरणों की सूची में पृथक शीर्ष “हेल्ड अप प्रकरण” के
अंतर्गत सूचीबद्ध नहीं किये जाते है। यद्यपि अंतिम सुनवाई में हैल्ड अप प्रकरण प्राथमिकता की श्रेणी में
इसी शीर्ष के अंतर्गत सूचीबद्ध किये जाते हैं ।
प्रश्न.32. प्रकरण जो सूचना पत्र की तामील की अवस्था के अंतर्गत आते है, उन पर कैसे ध्यान दिया जाता है ?
उत्तर -32- सूचना तामील की अवस्था के अंतर्गत सभी प्रकरण रजिस्ट्रार द्वारा देखे जाएगें जो कि म.प्र.उच्च न्यायालय नियम 2008 के अध्याय 5 के अंतर्गत प्राधिकृत है।
प्रश्न.33. बाहरी अधिवक्ताओं के लिए क्या सुविधा उपलब्ध है, यदि कोई स्थानीय अधिवक्ता नियुक्त नहीं किया जाता है ?
उत्तर -33- प्रशासनिक निर्देशों के अनुसार, बाहरी अधिवक्ताओं के प्रकरण सप्ताह के एक विशेष दिवस पर सूचीबद्ध किये जावेगें। परन्तु, नियमों के अनुसार, एक स्थानीय अधिवक्ता को नियुक्त करना अनिवार्य है।
प्रश्न.34. क्या वर्तमान पद्धति ई गवर्नेन्स के तहत पर्याप्त आधुनिकीकृत है ?
उत्तर -34- हाॅ, वर्तमान पद्धति ई सेवाओं को जैसे कि त्रुटिपूर्ण/ नवीन प्रस्तुत प्रकरणों में स्वजनित एस.एम.एस. / ई-मेल द्वारा अच्छी तरह से सुगम बनाती है एवं ऐसी ही सेवाऐं प्रकरणों की सूची के लिए, प्रतिलिपि आवेदन पत्रों हेतु, पेपर बुक प्राक्कलन एवं पेपर बुक की तैयारी हेतु उपलब्ध कराई जा रही हैं। प्रकरणों की सूची के बारे में आॅन लाइन जानकारी अधिकारिक बेवसाइट पर उपलब्ध है।
प्रश्न.35. एक प्रकरण की प्रतिदिन की सूची में संभाव्य स्थिति क्या रहेगी यदि उसे टाॅप आॅफ द लिस्ट श्रेणी के अंतर्गत सूचीबद्ध किया गया है ?
उत्तर -35- ऐसे प्रकरणों को प्रतिदिन की सूची में सूचीबद्ध किए गये समस्त प्रकरणों के ऊपर सूचीबद्ध किया जाता है। यदि एक से अधिक ऐसे प्रकरण है तो कालानुुक्रम का अनुसरण किया जावेगा।