9 एवं 10 मार्च, 2006 को उच्चतम न्यायालय में आयोजित मुख्य न्यायधीशों के सम्मेलन में, कार्यसूची के शीर्ष क्रमांक - 22 “किशोर अपचारियों की दुर्दशा” शीर्षक के अधीन निम्नलिखित संकल्प पारित किया गयाः
“कि उच्च न्यायालय राज्य सरकारों पर किशोर न्याय बोर्डों की स्थापना करने के लिए दबाव डालेंगे, जहां भी ऐसे बोर्ड स्थापित न किए गए हों। मुख्य न्यायधीशगण उच्च न्यायालय के किसी न्यायधीश को किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2000 के अधीन स्थापित किए गए प्रतिप्रेषण/संप्रेक्षण ग्रहों की स्थिति एवं कार्य प्रणाली के पर्यवेक्षण के लिए नामित कर सकते हैं।”.
03.05.2006 को, मध्य प्रदेश के माननीय मुख्य न्यायधीश महोदय ने माननीय श्री न्यायमूर्ति आर॰ एस॰ झा को किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2000 के अधीन स्थापित किए गए प्रतिप्रेषण/संप्रेक्षण ग्रहों की स्थिति एवं कार्यप्रणाली के पर्यवेक्षण हेतु नामित किया है।
किशोर न्याय प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए माननीय मुख्य न्यायाधिपति के सम्मेलन में अंगीकृत संकल्प
सम्मेलन ने विधि का उल्लंघन करने वाले बालकों एवं देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों के लिए संस्थागत समर्थन सुनिश्चित करने की आवश्यकता को देखा एवं संकल्पित किया किः -